Class 12th Subject Economics Ka Important Viral Question Exam 2024: कक्षा 12वीं का विषय अर्थशास्त्र से परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न यहां से पढ़े,Sarkari Board
Class 12th Subject Economics Ka Important Viral Question Exam 2024:
प्रश्न 1. उदारीकरण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर- उदारीकरण- यह भूमंडलीकरण का आर्थिक तत्व है। यह एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक अनिदिखने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित की जाती है। नियंत्रण व संचालन को कम करके आंतरिक अर्थव्यवस्था को उदार है। अधिकतर कार्यों में राज्य का महत्त्व घटाकर निजी उद्यमों और कंपनियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाता है। सार्वजनिक इकाइयों को समाप्त करके व्यवसाय व उद्योग का निजीकरण होता है। उदारीकरण इस बात पर निर्भर है कि यदि राज्य का हस्तक्षेप कम हो तो अर्थव्यवस्था एवं समाज बेहतर होगा। विभिन्न देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर कम-से-कम सरकारी नियंत्रण रखकर उसे उदार बनाना होगा। उदारीकरण की नीति अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता पर जोर डालती है। निजी उद्यमों को सार्वजनिक उद्यमों की तुलना में अधिक निपुण
माना जाता है।
प्रश्न 2. एकीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इन नीतियों को बढ़ावा देने वाला नीतियों का उद्देश्य बताइए।
उत्तर- एकीकरण- सांस्कृतिक जुड़ाव या समेकन की एक प्रक्रिया जिसके द्वारा सांस्कृतिक विभेद निजी क्षेत्र में चले जाते हैं और एक सामान्य सार्वजनिक संस्कृति सभी समूहों द्वारा अपना ली जाती है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रबल या प्रभावशाली समूह की संस्कृति को ही आधिकारिक संस्कृति के रूप में अपनाया जाता है सांस्कृतिक अंतरों, विभेदों या विशिष्टताओं को अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित नहीं किया जाता। कभी-कभी सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी अभिव्यक्ति पर रोक लगा दी जाती है। एकीकरण नीतियाँ इस बात पर बल देती हैं कि सार्वजनिक संस्कृति को सामान्य राष्ट्रीय स्वरूप तक सीमित रखा जाए और गैर-राष्ट्रीय संस्कृतियों को निजी क्षेत्रों के लिए छोड़ दिया “जाए। ये नीतियाँ शैली की दृष्टि से अलग होती हैं, परन्तु इनका उद्देश्य समान होता है। एकीकरण की नीतियाँ केवल एक अकेली राष्ट्रीय पहचान बनाए रखना चाहती है जिसके लिए वे सार्वजनिक तथा राजनीतिक कार्यों में नृजातीय राष्ट्रीय और सांस्कृतिक विभिन्नताओं को दूर करने का प्रयत्न करती है।
0000000000000000000000प्रश्न 3. आधुनिकीकरण की प्रमुख विशेषताओं को चर्चा करें।
उत्तर- भारतीय समाज की संरचना में परिवर्तन लाने वाली एक अन्य प्रक्रिया आधुनिकीकरण है। जब किसी समाज में धार्मिक विश्वासों की जगह वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रभाव बढ़ने लगता है, पारलौकिक जीवन की जगह हम वर्तमान जीवन की सफलता को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं, कुटीर उद्योगों की जगह प्रौद्योगिक विकास होने लगता है, जीवन में तर्क का महत्त्व बढ़ने लगता है और शुभ-अशुभ की जगह उपयोगी ढंग से व्यवहार करना अधिक महत्वपूर्ण माना जाने लगता है, इस दशा को हम आधुनिकीकरण कहते हैं।
आधुनिकीकरण की मुख्य विशेषताएं- महत्त्व
(1) लौकिक मूल्यों को
(2) प्रौद्योगिक विकास
(3) गतिशीलता में वृद्धि
(4) परिवर्तन में रूचि
(5) व्यक्तिगत आकांक्षाओं को मान्यता
(6) नगरीकरण की वृद्धि
(7) लोकतांत्रिक मूल्यों में वृद्धि
प्रश्न 4. भारत में हरित क्रांति की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।
उत्तर- भारत में हरित क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) अधिक उपज देने वाली फसलों के कार्यक्रम लागू किए गए ।
(2) बहुफसल कार्यक्रम आरम्भ किया गया ।
(3) हरित क्रांति के लिए जरूरी था कि खेती वर्षा पर निर्भर न रहे। इसके लिए बड़ी-छोटी सिंचाई की योजनाएँ बनायी गयी ।
(4) सरकार द्वारा रसायनिक खादों के उपयोग पर बल दिया गया ।
(5) कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक तथा कृषकों को प्रशिक्षण दिया गया ।
(6) उन्नत किस्म के बीजों की व्यवस्था की गई ।
(7) किसानों को उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा ‘कृषि मूल्य आयोग की स्थापना की गई ।
प्रश्न 5. भारतीय जाति व्यवस्था पर पडनेवाले औद्योगिकीकरण के प्रभावों का उल्लेख करें।
उत्तर औद्योगिकीकरण को भारतीय जाति व्यवस्था की संरचता में परिवर्तन लाने वाली एक प्रमुख प्रक्रिया इस कारण माना जाता है कि इसके फलस्वरूप भारत के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और ग्रामीण जीवन में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। हमारे घरेलू जीवन से लेकर बाहरी दुनिया तक तथा खेत और खलिहानों से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार तक जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें औद्योगिकीकरण ने कुछ न कुछ परिवर्तन न किया हो । भारतीय जाति व्यवस्था पर पढ़नेवाले औद्योगिकीकरण के प्रभाव निम्नलिखित हैं-
(1) सामाजिक संरचना में परिवर्तन
(2) सामाजिक नियंत्रण की व्यवस्था
(3) आर्थिक जीवन में परिवर्तन
(4) धार्मिक जीवन में परिवर्तन
(5) ग्रामीण जीवन में परिवर्तन
प्रश्न 6. भारतीय समाज में भूमि सुधार के प्रमुख कदमों की चर्चा करें
उत्तर- भारतीय समाज में भूमि सुधार का अभिप्राय कृषि भूमि के स्वामित्व एवं परिचालन में किये जाने वाले सुधारों से है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भूमि सुधारों की आवश्यकता को महसूस किया गया था और बाद में पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधारों की निर्धनता विरोधी रणनीति के मूलभूत भाग के रूप में घोषित किया गया। भारतीय समाज में भूमि सुधार के प्रमुख कदम निम्न है-
(1) मध्य वर्ग की समाप्ति
(2) काश्तकारी सुधार
प्रश्न 7. भारतीय समाज में प्रातीयता की समस्या को चर्चा करें
उत्तर-साम्प्रदायिकता के ही समान भारत में सामुदायिक विघटन की एक अन्य समस्या प्रान्तीयता की है अर्थात् क्षेत्रवाद की है। जिसने स्वतंत्रता के बाद अत्यधिक विषम रूप धारण करके बड़े-बड़े संघयों तथा हिंसक आन्दोलनों को जन्म दिया है। साम्प्रदायिकता की समस्या जहाँ धार्मिक आध र पर आत्मकेन्द्रित तथा परस्पर विरोधों समूहों का निर्माण करती है, वहीं क्षेत्रवाद (प्रान्तीय) में संघर्ष, विरोध तथा घृणा का आधार एक विशेष क्षेत्र के प्रति वहाँ के निवासियों की अन्ध-भक्ति का होना है। भारतीय समाज में प्रान्तीयता की समस्या के निम्नलिखित कारण हैं–
(1) राजनीतिक कारण
(2) आर्थिक स्वार्थ
(3) भाषायी भिन्नताएँ
(4) भौगोलिक कारण
(5) सांस्कृतिक भिन्नताएँ
(6) ऐतिहासिक कारण
(7) मनोवैज्ञानिक कारण
प्रश्न 8. भारतीय समाज में धर्म-निरपेक्षता की आवश्यकता की चर्चा करें।
उत्तर- भारतीय समाज में धर्म निरपेक्षता के क्रियान्वयन में कुछ ऐसे दोष हैं जिनसे यहाँ साम्प्रदायिक तनाव को प्रोत्साहन भिन्न है। वर्तमान स्थिति यह है कि भारत में हिन्दुओं, मुसलमानों तथा ईसाइयों के लिए सामाजिक कानून पृथक्-पृथक् है । इसके फलस्वरूप विभिन्न धार्मिक समूहों में न केवल सामाजिक दूरी बनी रहती है बल्कि सभी धार्मिक समूहों का यह प्रयत्न रहता हैं कि वे धर्म के आधार पर अधिक से अधिक संगठित होकर अपने लिए एक पृथक् सामाजिक व्यवस्था की माँग कर सकें। इसके फलस्वरूप हमारा राष्ट्र मूल रूप से ही अनेक आत्म-केन्द्रित टुकड़ों में विभाजित हो जाता है।
प्रश्न 9. सामाजिक आन्दोलन का क्या अर्थ है ?
उत्तर- भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं और विकास कार्यक्रमों के फलस्वरूप हमारे जीवन में सभी पक्षों में व्यापक परिवर्तन हुए हैं । प्रसिद्ध समाजशास्त्री एम० एस० ए० राव के अनुसार आन्दोलन समाज के किसी भाग द्वारा समाज में आशिक या पूर्ण परिवर्तन लाने के लिए किया जाने वाला संगठित प्रयत्न है। ऐसे आन्दोलनों के उद्देश्य एक विशेष परिवर्तन को प्रोत्साहन देना अथवा किसी परिवर्तन का विरोध करना होता है । प्रत्येक आन्दोलन के पीछे एक विशेष विचारधारा और कुछ लक्ष्य होते हैं। आन्दोलन का उद्देश्य दबाव के द्वारा ऐसी दशाएँ पैदा करना होता है जिससे प्रशासन अथवा सरकार को एक विशेष ढंग से व्यवहार करने, नीतिगत फैसले लेने के लिए बाध्य किया जा सके ।
विभिन्न आधारों पर सामाजिक आन्दोलन अनेक प्रकार के होते हैं जिसमें सुधारवादी आन्दोलन, रूपान्तरक आन्दोलन और क्रांतिकारी आन्दोलन प्रमुख हैं । सारांशतः सामाजिक आन्दोलन की प्रमुख विशेषताएँ— (i) यह एक सामूहिक प्रयास है । (ii) इसका उद्देश्य समाज में परिवर्तन लाना है। (iii) यह संगठित और असंगठित होता है। (iv) यह शांतिपूर्ण और हिंसात्मक होता है। (v) इसकी अवधि निश्चित नहीं होती ।
प्रश्न 10. जनांकिकी की परिभाषा
उत्तर-जनाकिको शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन् 1855 ई० में गुईलाई ने किया था । जनांकिकी अंग्रेजी शब्द ‘Demography का हिन्दी रूपान्तर है। शाब्दिक रूप से डेमोग्राफी दो शब्द से मिलकर बना है। पहला शब्द है डेमस ‘Demus’ तथा दूसरा शब्द Graphy है । पहले शब्द का तात्पर्य जनसंख्या से है जबकि दूसरे शब्द का अर्थ विवरण देने वाले विज्ञान से है। इस प्रकार शाब्दिक रूप से डेमोग्राफी वह विज्ञान है जो एक विवरण के रूप में जनसंख्या सम्बन्धी विशेषताओं को स्पष्ट करता है ।
गुईलाई के शब्दों में “जनांकिकी एक गणितीय ज्ञान है जो जनसंख्या की भौतिक, सामाजिक, बौद्धिक और नैतिक दशाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। व्यापक अर्थों में यह मानव समाज का प्राकृतिक और सामाजिक इतिहास है।” संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा प्रकाशित ‘जनसंख्यात्मक शब्दकोश’ से लिया गया है, “जनांकिकी मानव जनसंख्या का वैज्ञानिक अध्ययन है जिसमें मुख्य रूप से जनसंख्या के आकार, उसकी संरचना और विकास का विश्लेषण किया जाता है।
प्रश्न 11. दबाव समूह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- समाज में विभिन्न प्रकार के हित समूह होते हैं ये व्यक्तियों के ऐसे समुदाय या संगठन होते हैं जिनका हित एक समान होता है। उदाहरण के लिए व्यापारिक समूह, कृषक तथा शिक्षक संघ आदि। ये हित समूह जब-तब हितों की पूर्ति के लिए सरकार पर दबाव बनाते रहते हैं दबाव समूह स्वयंसेवी संस्थाएँ होती हैं जो समाज के किसी विशेष वर्ग या वर्गों को ध्यान में रखकर बनायी जाती हैं। ये एक राजनीतिक दल से भिन्न होते हैं।
आधुनिक राजनीतिक युग की महत्त्वपूर्ण देन हित व दबाव समूहों का विकास है जो आजकल सभी लोकतंत्रीय देशों में पाए जाते हैं। जब समान हित के व्यक्ति संगठित होकर अपने हितों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं तो उस संगठन को हित समूह कहा जाता है। जब हित समूह अपने हितों की पूर्ति के लिए सरकार से सहायता चाहने लगते हैं और व्यवस्थापिका के सदस्यों को इस रूप में प्रभावित करने लगते हैं कि उन्हीं के हित के लिए कानून बनाए जायें तो उन्हें दबाव समूह कहा जाता है ।
भारत में कई प्रकार के दबाव समूह कार्यरत हैं जैसे- ‘भारतीय वाणिज्य ‘मंडल’ (FICCI), अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्दु मजदूर संघ, किसान संगठन, सांप्रदायिक व धार्मिक समूह आदि ।
प्रश्न 12. संयुक्त परिवार की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।
उत्तर- संयुक्त परिवार की आधारभूत विशेषता इसके सदस्यों की बड़ी संख्या है जिसमें माता-पिता, बच्चे, पौत्र तथा उनकी पत्नियों से संबंधित निकटवर्ती रिश्तेदारी भी होते हैं। धन का स्वामित्व, उत्पादन एवं उपभोग संयुक्त आधार पर होता है। इसके सदस्य एक ही मकान में रहते हैं। साथ ही वे एक ही प्रकार का भोजन करते हैं तथा एक ही प्रकार का वस्त्र पहनते हैं। संयुक्त परिवार प्रथा का आधार सहकारिता है। इसमें सदस्यों की संख्या बहुत अधिक होती है और सहकारिता के आधार पर एक साथ मिल जुलकर रहते हैं । इसके सदस्य समान देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। सभी सदस्य सामाजिक कार्यों को संयुक्त रूप से मानते हैं। परिवार के सदस्य सामाजिक संस्कारों तथा विवाह, मृत्यु एवं पारिवारिक शोक तथा खुशियों के लिए समान रूप से उत्तरदायी होते हैं। इस प्रकार के परिवार कृषक समाज में अधिक मिलता है। सभी सदस्य एक साथ खेत में कार्य करते हैं। शिल्पी परिवार में भी परिवार के सदस्य मिलकर एक ही काम करते हैं। इसके अधिकार एवं दायित्व समान होते हैं। इसमें मुखिया का अधिकार सबसे अधिक होता है । इस प्रकार का आधार ‘कर्त्ता’ होता है जो सदस्यों के लिए परिवार की नीतियों को स्पष्ट करता है, कार्य का बँटवारा करता है, आय को सुरक्षित रखता है।
प्रश्न 13. सामाजिक स्तरीकरण की संक्षिप्त चर्चा करें।
उत्तर स्तरीकरण शब्द भू-विज्ञान से ग्रहण किया गया है तथा यह समाज में व्यक्तियों के विभिन्न स्तरों में वर्गीकरण की ओर संकेत करता है, जिसके संबंध में माना जाता है कि समाज में स्तर की यह व्यवस्था ठीक उसी तरह लम्बवत् रहती है। प्रत्येक समाज अपनी जनसंख्या को आय, व्यवसाय, सम्पत्ति, जाति, धर्म, शिक्षा, प्रजाति एवं पदों के आधार पर निम्न एवं उत्प पक्षों में विभाजित करता है। जिसमेट ने कहा कि, सामाजिक स्तरीकरण समाज का उन स्थायी समूहों एवं श्रेणियों में विभाजन है जो कि आपस में श्रेष्ठता एवं अधीनता के संबंधों द्वारा संबंध होते हैं। रेमण्ड मेरे ने लिखा कि, “स्तरीकरण उच्चत्तर एवं निम्नतर सामाजिक इकाइयों में समाज का क्षैतिज विभाजन है। स्तरीकरण की विशेषता निम्नलिखित रूप में दी जा सकती है-
(i) यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्तियों एवं समूहों को स्तर पदानुक्रम में स्थान प्रदान किया जाता है।
(ii) इसके अन्तर्गत एक ऐसा पदानुक्रम पाया जाता है, जो यह सिद्ध करता है कि असमानताओं को समाज द्वारा वैध रूप प्रदान किया गया है।
(iii) स्तरीकृत समाज एक सार्वभौतिक अवधारणा माने गये हैं तथा आज भी माने जाते हैं।
(iv) असमानता के आधार पर समाज से दूसरे समाज में बदलते रहते हैं।
(v) स्तरीकरण की प्रकृति सामाजिक है तथा इसके अन्तर्गत जैविक कारणों से उत्पन्न असमानताएँ नहीं आती है ।
प्रश्न 14. ‘संस्कृतिकरण’ की प्रक्रिया क्यों अपनाई जाती है
उत्तर – यह प्रक्रिया संबंधित जाति के आर्थिक स्तर में उन्नति होने के बाद या उसकी उन्नति के साथ अपनाई जाती है। इसके अन्तर्गत ब्राह्मण या दक्षिण जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाया जाता है, जैसे- शाकाहारी बनना, धार्मिक
उत्सव मनाना इत्यादि ।
प्रश्न 15. जाति व्यवस्था में हुए विरोधाभासी परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-जाति व्यवस्था में परिवर्तन यह है कि उच्च जातियों, नगरीय, मध्यम और उच्च वर्गों के लिए जाति व्यवस्था लुप्त होती जा रही है। अपने कार्यों को भली-भाँति समझना, तीव्र विकास का पूरा-पूरा लाभ, स्थिति का और सुदृढ़ होना, इन सब कारणों से लोगों को विश्वास होने लगा कि प्रगति का जाति से कोई लेना-देना नहीं है। अतः जाति