Class 12th Subject Hindi ka Important Question Exam 2024: कक्षा 12वीं विषय हिंदी से परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न यहां से जरूर पढ़े, Sarkari Board

Class 12th Subject Hindi ka Important Question Exam 2024

 

प्रश्न 1. संघर्ष समितियों से जनप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं?
कविता है कि जिस तरह चन्द्रमाको ने किया उसी प्रकार हमें भी विधाता ने एक आँख देकर किया, परन्तु चन्द्रमा जिस तरह उसी प्रकार उसे एक ही आँख में सारा संसार दिखता है। यह के में शुक्र की तरह उदित है। काँच से सात्पर्य कच्ची धातु से है जो अपने पर हो चिकना बनता है उससे मैल निकलता है। जैसे सोना उपने पर ही कुंदन बनता है।

2.जयी दो रचनाओं के नाम लिखे /Sc. & Com. 2019A1
उत्तर- मलिक मुहम्मद जायसी की दो प्रमुख रचनाएँ है-पात व अट  /Sc. & Com. 2015AJ यहाँ पर कवि ने सई के रूपक से यह बताने की पेष्टा की है कि उसने अपनी कथा के विभिन्न प्रसंगों को किस प्रकार एक ही सूत्र में बाँधा है। कवि कहता है कि मैंने अपने कोई बनाई गई है, अर्थात् कठिन साधना की है। यह लेई साधना प्रेमरूपी आँसुओं से अप्लावित की गई है। कवि का व्यंग्यार्थ है कि इस क की रचना उसने कठोर सूफी साधना के फलस्वरूप की है और फिर इसको उसने प्रेमरूपी आँसुओं के विशिष्ट आध्यात्मिक विरह से पुष्ट किया है। लौकिक कथा को इस प्रकार अलौकिक साधना और आध्यात्मिक विरह से परिपुष्ट करने का कारण भी जायसी ने लिखा है-” अपनी काव्याकृति के द्वारा लोक जगत् में अमरत्य प्राप्ति की प्रबल इच्छा।”

3. दूसरे पद कड़वक’ का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट करें। (Ares 20204)
उत्तर प्रस्तुत पद (कड़बक) में कवि अपनी सृजनशीलता के प्रति विश्वास दिलाता है कि उसने जो कथा सृष्टि की है बड़ी ही मिहनत से की है। उसने काव्य को अपने कलेजे का खून से लिखा है मानों रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है जो गाढ़े प्रेम के नयनजल में भिगो भिंगोकर बनाया है। इस प्रकार की रचना इसलिए की है ताकि उसको निशानी बची रह जाय। कवि कहता है कि कहाँ है यह रत्नसेन राजा जो पद्मावती के प्रेम के कारण योगी हो गया। कहाँ है वह सुरंगा जो ऐसी बुद्धि लेकर जन्मा था कहाँ है यह अलाउद्दीन सुल्तान, कहाँ है वह राघवचेतन जिसने पद्मिनी का शाह से बखान किया। यहाँ अब कुछ नहीं रहेगा, बल्कि यश के रूप में सिर्फ कहानी रह गई। कवि में दृढ़ इच्छा शक्ति है कि जिस प्रकार फूल झड़कर नष्ट हो जाता है पर उसकी खुशबू रह जाता है। कवि यह कहना चाहता है कि एक दिन नहीं रहेगा पर उसकी कीर्ति सुगन्ध की तरह पीछे रह जायेगी। जो भी इस कहानी को पढ़ेगा वही उसे दो शब्दों में स्मरण करेगा। कवि का अपने काव्य के प्रति यह आत्मविश्वास अत्यन्त सार्थक और बहुमूल्य है।

प्रश्न 4. मलिक मुहम्मद जायसी की प्रेम संबंधी अवधारणा क्या है? [Arts 2018A]
उत्तर- कवि ने अपनी कविता में ‘प्रेमपीर’ की चचां की है। सूफी साधना का सर्वस्व है-प्रेमपीर। इस प्रेमपीर की चर्चा सभी सूफी कवियों ने अपनी काव्य कृतियों की है। जब साधक किसी गुरु की कृपा से उस दिव्य सौंदर्य स्वरूपी परमात्मा की झलक पा लेता है और उसके पश्चात जब उसकी वृत्ति को संसार की ओर पुनः पुनरावृत्ति होती है तब उसका हृदय प्रेम की पीर या आध्यात्मिक विरह-वेदना से व्यथित हो उठता है। यह विरह वेदना या प्रेम की पीर हो साधक के कल्ब के कालुल्यों को धीरे-धीरे जलाती रहती है और जब कल्ब के कालुष्य नष्ट हो जाते हैं तब वह सरलता से भावना लोक में उस सौंदर्य स्वरूपो परमात्मा के सतत दर्शन करने में समर्थ होते हैं।

प्रश्न 5. “रकत के लेई” का क्या अर्थ है?
उत्तर- कवि यहाँ अपने काव्य और उसकी कथासृष्टि के बारे में कहता है कि मैंने कविता को रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है गाढ़ी प्रीति के नयन में भिंगोई हुई है। यहाँ कवि कलेजे के खून से रचे इस काव्य के प्रति अपना आत्मविश्वास दर्शाता है। प्रश्न 7. कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है? उनकी इस इच्छा का मर्म बताएं। र- जिस प्रकार फूल झड़कर नष्ट हो जाता है, लेकिन उसकी खुशबू रह उत्तर जाता है इसी प्रकार कवि यह कहना चाहता है कि एक दिन वह नहीं रहेगा पर उसकी कीर्ति सुगन्ध की तरह पीछे रह जाएगी, क्योंकि कवि ने इस काव्य की रचना 5 अपने कलेजे के खून से रचा है उसकी यही इच्छा है कि उसके जीवन के बाद उसकी यह कीर्ति एक याद बनकर रह जाए उसकी कीर्ति और यश इस धरती पर फैला रहे ।

प्रश्न 6. कवि ने अपनी आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है/
कवि अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से इसलिए की है कि वह उत्तर: अपनी आँखों से जो कुछ देखता है उसे सच्चे रूप में प्रस्तुत करता है। उसका भाव निर्मल और पवित्र है एक आँख होने पर भी कविता लिखता है उसको वह कलंक नहीं मानता, बल्कि जिस प्रकार दो आँखों से भी संसार दिखाई पड़ सकता था उसी तरह वह एक आँख से भी दिखाई देता है। अतः वह आँख को दर्पण की तरह स्वच्छ मानता है जिसमें कोई लाग-लपेट नहीं है। यही नहीं वह कुरूप दीखने पर भी सब रूपवान उसके पाँव पकड़कर चाव से उसका मुँह देखते हैं। कारण साफ है कि उसका भाव दर्पण की तरह निर्मल है और भाव आँख द्वारा ही हृदय में उत्पन्न होता है। इसलिए कहा जाता है कि आँखें क्या हैं वे तो हृदय का झरोखा है।

2. पद

सुरदास
प्रश्न 7. ब्रजभाषा के प्रारंभिक कवि कौन हैं? /Sc. & Com. 2019AJ
उत्तर- ब्रजभाषा के प्रारंभिक कवि हैं -सूरदास व तुलसीदास ।

प्रश्न 8. कवि कृष्ण को जगाने के लिए क्या-क्या उपमा दे रहा है? [Arts 2019AJ
उत्तर- ब्रजराज कुँवर जागिए । कमल के फूल खिल चुके, कुमुदनियों का समूह संकुचित हो गया है। कमल सदृश हाथों वाले कृष्ण जागिए ।

प्रश्न 9. कविता के दोनों पदों में किस रस की अभिव्यंजना हुई है?
उत्तर- वात्सल्य रस की अभिव्यंजना हुई है।

प्रश्न 10. ‘जागिए ब्रजराज कुँवर’ यहाँ व्रजराज कुँवर सम्बोधन किसके लिए आया है? इस सम्बोधन का अर्थ स्पष्ट करें। ‘
उत्तर- यह सम्बोधन ‘कृष्ण’ के लिए आया है। इस सम्बोधन के माध्यम से कृष्ण को जगाया जा रहा है। यह सूचना दी जा रही है कि हे कृष्ण जागिए । भोर हो गई है। सुबह होने पर कमल के फूल सूर्य के प्रकाश आने पर खिल जाते हैं। पक्षियों चहचहाने लगती हैं। गायें अपने बड़ों में रंभाने लगी है। अतः हे कमल सदृश हाथों वाले कृष्ण उठो ।

प्रश्न 11. आचमन किया हुआ सूरदास जूठन क्यों माँग रहे हैं।
उत्तर- सूरदास के प्रभु सगुण ब्रह्म हैं। वे अवतार लेते हैं और सूरदास को उनका कृष्ण रूप अधिक आकर्षित करता है उसमें उनका बालक रूप। सूरदास देखते हैं कि नंदनंदन कृष्ण जब भोजन कर आचमन करते हैं तो उनकी इच्छा है कि उन्हें कृष्ण का जूठन भी मिल जाता। सूरदास ने ही कहा है, “काग के भाग को का कहिए हरि हाथ से ले गयी माखन रोटी।” मुझे यह सौभाग्य तो नहीं, लेकिन यदि उनका जूठन भी मुझे नसीब होता तो मैं धन्य हो जाता। इसलिए सूरदास जूठन माँगते हैं।

प्रश्न 12. सूरदास की भक्तिभावना पर प्रकाश डालें।
उत्तर- सूरदासजी वल्लभाचार्य के शिष्य थे। सूरदासजी ने उनके आदेशानुसार श्रीमद्भगवत् की कलाओं को गेय पदों में प्रस्तुत किया। बल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग की स्थापना की और कृष्ण के प्रति सख्यभाव की भक्ति का प्रचार किया। अतः सूर ने बालक कृष्ण के रूप से लेकर विशाल भ्रमरगीत की रचना की जिसमें उनकी भक्तिभावना मुखरित है।

 

 

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